सुख-समृद्धि॰
॰ किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार कोभैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ,कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बारकरने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थीको गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ीहुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम परजाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग कोचूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें ृजयगणेश काटो कलेश´।
॰ किसी शनिवार को, यदि उस दिन ृसर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकालअपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसेस्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमीसूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार कीबाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।
॰ रविवार पुष्य नक्षत्र में एक कौआ अथवा काला कुत्ता पकड़े। उसके दाएँ पैर कानाखून काटें। इस नाखून को ताबीज में भरकर, धूपदीपादि से पूजन कर धारण करें।इससे आर्थिक बाधा दूर होती है। कौए या काले कुत्ते दोनों में से किसी एक का नाखून लें।दोनों का एक साथ प्रयोग न करें।
॰ प्रत्येक प्रकार के संकट निवारण के लिये भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री खाकरसोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक करें।
॰ अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तोयह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले थोड़े से गेंहू में 11 पत्ते तुलसीतथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेंहू में मिला कर पिसवालें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।
॰ आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने भी पिसने के लियें डाल दिया करेंतथा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाने का नियम बना लें।
॰ शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
॰ अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात् भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते कोप्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएँ।
॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडेपानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।
॰ रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अतरूसमृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवनरात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।
॰ भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघरमें ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करनाचाहिए।
॰ सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ,ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।
॰ घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर मेंरखना अलाभकारी होता है।
॰ अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह कर के रखना चाहिए। इसे घर के ईशानकोण में रखने से अधिक लाभ होता है।
॰ रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसेधूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भरकर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहींआयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूरहोंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।
॰ देव सखा´ आदि 18 पुत्रवर्ग भगवती लक्ष्मी के कहे गये हैं। इनके नाम के आदि मेंऔर अन्त में नम:´ लगाकर जप करने से अभीष्ट धन की प्राप्ति होती है। यथा - ॐदेवसखाय नम:, चिक्लीताय, आनन्दाय, कर्दमाय, श्रीप्रदाय, जातवेदाय, अनुरागाय,सम्वादाय, विजयाय, वल्लभाय, मदाय, हर्षाय, बलाय, तेजसे, दमकाय, सलिलाय,गुग्गुलाय, ॐ कुरूण्टकाय नम:।
॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थीको गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ीहुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम परजाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग कोचूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें ृजयगणेश काटो कलेश´।
॰ किसी शनिवार को, यदि उस दिन ृसर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकालअपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसेस्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमीसूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार कीबाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।
॰ रविवार पुष्य नक्षत्र में एक कौआ अथवा काला कुत्ता पकड़े। उसके दाएँ पैर कानाखून काटें। इस नाखून को ताबीज में भरकर, धूपदीपादि से पूजन कर धारण करें।इससे आर्थिक बाधा दूर होती है। कौए या काले कुत्ते दोनों में से किसी एक का नाखून लें।दोनों का एक साथ प्रयोग न करें।
॰ प्रत्येक प्रकार के संकट निवारण के लिये भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री खाकरसोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक करें।
॰ अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तोयह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले थोड़े से गेंहू में 11 पत्ते तुलसीतथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेंहू में मिला कर पिसवालें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।
॰ आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने भी पिसने के लियें डाल दिया करेंतथा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाने का नियम बना लें।
॰ शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
॰ अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात् भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते कोप्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएँ।
॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडेपानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।
॰ रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अतरूसमृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवनरात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।
॰ भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघरमें ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करनाचाहिए।
॰ सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ,ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।
॰ घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर मेंरखना अलाभकारी होता है।
॰ अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह कर के रखना चाहिए। इसे घर के ईशानकोण में रखने से अधिक लाभ होता है।
॰ रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसेधूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भरकर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहींआयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूरहोंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।
॰ देव सखा´ आदि 18 पुत्रवर्ग भगवती लक्ष्मी के कहे गये हैं। इनके नाम के आदि मेंऔर अन्त में नम:´ लगाकर जप करने से अभीष्ट धन की प्राप्ति होती है। यथा - ॐदेवसखाय नम:, चिक्लीताय, आनन्दाय, कर्दमाय, श्रीप्रदाय, जातवेदाय, अनुरागाय,सम्वादाय, विजयाय, वल्लभाय, मदाय, हर्षाय, बलाय, तेजसे, दमकाय, सलिलाय,गुग्गुलाय, ॐ कुरूण्टकाय नम:।
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