सेक्स में अरुचि है, जायफल आजमाएं...
आदिवासियों के अनुसार जायफल का चूर्ण तैयार किया जाए और करीब 2 ग्राम चूर्ण में इतनी ही मात्रा की मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम फ़ांकी मार ली जाए तो हर्बल जानकारों का मानना है कि यह शरीर को पुष्ट बनाता है।
जिन पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं के बनने का सिलसिला कम हो जाए अथवा वीर्य पतला होने की शिकायत हो, उन्हें इस फार्मूले को आजमाकर देखना चाहिए। सन 2005 में बीएमसी कोम्प्लीमेंट्री अल्टरनेटीव मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर भी नज़र डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि नटमेग यानी जायफल क्लिनिकल तौर पर सेक्सुअल एक्टिविटी को सकारात्मक तौर से बढ़ाता है।
अफ्रीका में भी एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ "पोरेज" तैयार किया जाता हैं जो कि सेक्स में अरुचि होने पर महिलाओं को दिया जाता है, इस खाद्य पदार्थ में जायफल का समावेश सिर्फ इसलिए किया जाता है कि यह एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है।
ब्रेन टॉनिक : रोमन और ग्रीक सभ्यताओं में जायफल को एक ब्रेनटॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। जायफल थकान और तनाव दूर करने के लिए भी जाना जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है जिससे बच्चे स्कूल में अधिक एकाग्र हो कर पढ़ाई कर सकते हैं।
दर्द निवारक : जायफल दर्द की पीड़ा को शांत करने में अग्रणी है। प्राचीन चीनी औषधियों में जायफल शीर्ष पर रहता आया है। जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों के दर्द ऑर्थ्रराइटिस के दर्द के छुटकारा पाने के लिए आज भी जायफल के तेल को उम्दा माना जाता है।
अपच की पीड़ा : जायफल अपच दूर करने के लिए हमारे देश में सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। डायरिया, कब्ज, उबकाई आने की समस्या का निवारण जायफल से किया जाता है। अपानवायु के निस्तारण के लिए भी जायफल का प्रयोग होता है।
मुंह की बदबू : मुंह की बदबू को जायफल के पावडर के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। जायफल में एंटिबैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है जिससे मुंह में मौजूद कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। यही वजह है कि जायफल कई ब्रांड के टूथपेस्टों में जम कर इस्तेमाल किया जाता है।
लीवर और किडनी शुद्ध होगी जायफल से : शरीर से विषैले पदार्थ हटते ही मरीज फिर पटरी पर लौट आता है। कई तरह के विषैले पदार्थ भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। दूषित जलवायु, तनाव, तंबाकू सेवन, शराबखोरी से भी जटिल विषैले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं। इससे छुटकारा पाने में मदद करता है जायफल। इससे लीवर और किडनी दोनों की शुद्धि होती है।
लीवर के रोगियों के लिए जायफल एक औषधि के तौर पर प्रयोग की जाती है। किडनी स्टोन्स से भी जायफल छुटकारा दिला सकता है। मरीज का लीवर और किडनी स्वच्छ हो तो उसका स्वास्थ भी उत्तम होता है।
जिन पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं के बनने का सिलसिला कम हो जाए अथवा वीर्य पतला होने की शिकायत हो, उन्हें इस फार्मूले को आजमाकर देखना चाहिए। सन 2005 में बीएमसी कोम्प्लीमेंट्री अल्टरनेटीव मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर भी नज़र डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि नटमेग यानी जायफल क्लिनिकल तौर पर सेक्सुअल एक्टिविटी को सकारात्मक तौर से बढ़ाता है।
अफ्रीका में भी एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ "पोरेज" तैयार किया जाता हैं जो कि सेक्स में अरुचि होने पर महिलाओं को दिया जाता है, इस खाद्य पदार्थ में जायफल का समावेश सिर्फ इसलिए किया जाता है कि यह एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है।
ब्रेन टॉनिक : रोमन और ग्रीक सभ्यताओं में जायफल को एक ब्रेनटॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। जायफल थकान और तनाव दूर करने के लिए भी जाना जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है जिससे बच्चे स्कूल में अधिक एकाग्र हो कर पढ़ाई कर सकते हैं।
दर्द निवारक : जायफल दर्द की पीड़ा को शांत करने में अग्रणी है। प्राचीन चीनी औषधियों में जायफल शीर्ष पर रहता आया है। जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों के दर्द ऑर्थ्रराइटिस के दर्द के छुटकारा पाने के लिए आज भी जायफल के तेल को उम्दा माना जाता है।
अपच की पीड़ा : जायफल अपच दूर करने के लिए हमारे देश में सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। डायरिया, कब्ज, उबकाई आने की समस्या का निवारण जायफल से किया जाता है। अपानवायु के निस्तारण के लिए भी जायफल का प्रयोग होता है।
मुंह की बदबू : मुंह की बदबू को जायफल के पावडर के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। जायफल में एंटिबैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है जिससे मुंह में मौजूद कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। यही वजह है कि जायफल कई ब्रांड के टूथपेस्टों में जम कर इस्तेमाल किया जाता है।
लीवर और किडनी शुद्ध होगी जायफल से : शरीर से विषैले पदार्थ हटते ही मरीज फिर पटरी पर लौट आता है। कई तरह के विषैले पदार्थ भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। दूषित जलवायु, तनाव, तंबाकू सेवन, शराबखोरी से भी जटिल विषैले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं। इससे छुटकारा पाने में मदद करता है जायफल। इससे लीवर और किडनी दोनों की शुद्धि होती है।
लीवर के रोगियों के लिए जायफल एक औषधि के तौर पर प्रयोग की जाती है। किडनी स्टोन्स से भी जायफल छुटकारा दिला सकता है। मरीज का लीवर और किडनी स्वच्छ हो तो उसका स्वास्थ भी उत्तम होता है।
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