Tuesday, June 23, 2015

यन्त्र


यन्त्र

यन्त्र को धारण करने से ज्यादा ये जरुरे है की ये सिद्ध है या नहीं बोहोत से लोग एसे है की वो यन्त्र को धारण करते है लेकिन ये जाननेकी कोसिस नहीं करते की यन्त्र सिद्ध है की नहीं क्योकि जब तक यन्त्र सिद्ध नहीं होगा वो सिर्फ एक कागज या पत्रे का टुकड़ा होगा लिकिन अगर यन्त्र को सिद्ध किया जय तो वोही टुकड़ा किसी संजीवनी से कम भी नहीं होगा इसलिए यन्त्र का सिद्ध होना बोहोत ही जरुरी है यंत्र अ बोहोत से प्रकार के होते है जैसे की यन्त्र दीवाल पर लिखा जाता है ताम्रपत्र पर अंकित किया जाता है भोजपत्र पर लिखा जाता है शाधक ये जन ले की यन्त्र कभी भी पेपर पर नहीं लिखा जाता .

अगर कोई घर प्रेतग्रस्त है तो उस घर की दिवार पर यन्त्र लिखा जाई तो वो घर प्रेतों से मुक्त हो जाता है

यन्त्र को पूजा घर में रखना हो तो यन्त्र को ताम्रपत्र पर अंकित किया जाता है

अगर सरीर पर पहेना हो तो यन्त्र को भोजपत्र पर लिखा जाता है

यन्ता की रचना करते वक़्त कुछ नियमो का पालन करना जरुरी होता है अगर नियमो का पालन नहीं होता है तो यन्त्र काम नहीं करेगा इस लिए साधक जन ले की नियम तोड़ने से उनकी महेनत बेकार हो जाएगी

:-नियम

* अलग अलग यन्त्र अलग अलग कलम से लिखी जाती है

* भोजपत्र फटा हुआ या ख़राब नहीं होना चाहिए

* हर एक सब्द पूरी तरह से साफ दिखने चाहिए

* सब्द एक दुसरे से जुड़े हुए नहीं होने चाहिए

* लकीर बनाते वक़्त ये ध्यान रखे की हर सब्द लकीर के अन्दर रहे

* छोटा अंक पहले लिखना चाहेये फिर उससे बड़ा ओउर इस तरह से आगे बड़े

* अंक ढाई घर छोड़ के लिखे चेस में जिस तरह घोडा चलता है उस तरह

* यन्त्र बनाने से पहले आप दिमाग में उसका नक्सा बनाले की कौन सा अंक आप कहा लिकेगे

* यन्त्र बनाते वक़्त मन को एक चित करे और अपने इस्टदेवता को याद करे या फिर आप मंत्र जप भी कर सकते है

* यन्त्र बनाने से पहले अपने इस्टदेवता को प्रार्थना करे की वो आप को सफलता दे और यन्त्र का निर्माण करने में आप को सहायता करे

* यन्त्र बनाते वक़्त दिया और अगरबत्ती चालू रहे इसका ध्यान रखे

* यन्त्र को तावीज में रखते समय ये ध्यान रखे की यन्त्र कही से भी फट न जाय

  त्रिलोह ( ३ प्रकार के धातु ) की परिभाषा -:

त्रिलोह में बनाई गई अंगुठिया या यन्त्र बहुत प्रभावशाली होते है त्रिलोह में १० रति सोना , १२ रति चांदी , और १६ रति तांबा होता है इनको पुष्य नक्षत्र में बनाना चाहिए इसको पहेनने से दरिद्रता का नाश होता है

  अगर  भोजपत्र पर यन्त्र अंकित करना हो तो उसकी स्याही का महत्व होता है

१- पंचगंध - : केसर , कस्तूरी , कपूर , चन्दन , और गोरोचन इन पांचो को मिला कर पंचगंध बनता है

२ - अष्टगंध :- अगर , तगर , गोरोचन , कस्तूरी , चन्दन , सिंदूर , लाल चन्दन , केसर इनसे अष्टगंध बनता है

३ - गंधत्रय :- सिंदूर , हल्दी , कुमकुम लिया जाता है और पानी की जगह गंगाजल , गुलाबजल , इत्र या फिर ढूध का इस्तेमाल होता है

कोई  कोई यन्त्र में समसान की राख , कोइला , या खून से भी लिखा जाता है













यन्त्र के जरिये प्रेत से घर की रक्षा












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अगर घरदुकान आदि पर प्रेत हमला हुआ है तो मुख्य दरवाजे पर या दीवार पर ये यन्त्र लिखा जाता है ये यन्त्र घी या तेल में सिंदूर मिलाकर मध्यमा ऊँगली से बड़े आकार में बनाया जाता है ये यन्त्र अगर प्रेतग्रस्त व्यक्ति को पहना दिया जाये तो प्रेत उस सरीर को तुरंत छोड़ देता है


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जब लम्बे अरसे  तक कोई मकान या दुकान खाली रहता है तब उसमे प्रेत आकर कब्ज़ा जमा देते है इस  अवस्था में ये पिच्चासिया यन्त्र को कदर्म से मकान की अन्दर की दीवार पर लिखा जाता है जहा तक हो सके हरएक कमरे में लिखे यन्त्र का निर्माण करने के बाद हाथ जोड़कर ये प्रार्थना करे की हे देव स्वस्थान गच्छ्ह अर्थात आप अपने स्थान पर जाइये  इस तरह करने से उपद्रव शांत हो जायेगा और आप सुख पूर्वक उसमे रह सकेगे यन्त्र लिखने के बाद उसके पास २१ दिन तक शाम को धी का  दीपक जलाना आवश्यक है दीपक जलने के बाद आप वह से हट जाये  

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